मुख्य बिंदु

अपने होम लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने से पहले, इन नियमों को जान लीजिए–

  • लेंडर लोन के लिए सिक्योरिटी कवर कैसे बनाए रखता है.
  • आपके भुगतानों का किस प्रकार उपयोग किया जाता है.
  • डिफॉल्ट (भुगतान में चूक) होने की स्थिति में, अगर आपका लोन किसी तीसरे पक्ष को सौंपा जाता है, तो उसके साथ क्या होगा.
  • प्रीपेमेंट के नियम.
  • पते, रोजगार आदि में बदलाव के बारे में लेंडर को सूचित करना.
  • 'डिफॉल्ट’ को किस प्रकार परिभाषित किया जाता है.
  • एग्रीमेंट में संशोधन की शर्तें.

घर खरीदने के साथ ही बहुत से एहसास और भावनाएं उमड़ पड़ती हैं; खुशी, गर्व, राहत, सुरक्षा और ऐसी ही कई अन्य भावनाएं जो खरीदार के मन से खेलती रहती हैं. अक्सर खरीद के इस प्रोसेस में होम लोन अपरिहार्य होता है. पर जब ये भावनाएं उस बेहद अभिलाषित घर की खरीद के समय व्यक्ति के मन पर हावी हो जाती हैं, तो वह लोन की बारीकियों पर ध्यान देना भूल जाता है. होम लोन लेते समय अधिकतर खरीदार केवल बुनियादी बातों पर ध्यान रखते हैं, जैसे होम लोन की ब्याज दर, डाउन पेमेंट और EMI. खरीदार लोन एग्रीमेंट पर ज्यादा ध्यान नहीं देता, जिसे अक्सर एक ऐसी कानूनी औपचारिकता मानकर रवाना कर दिया जाता है जिस पर बस जल्दी से हस्ताक्षर कर देने होते हैं. लेकिन, होम लोन एक बड़ा फाइनेंशियल फैसला होता है, जिसका असर लंबे समय में जाकर दिखता है. होम लोन एग्रीमेंट, लोन की संपूर्ण अवधि के दौरान कस्टमर पर बाध्यकारी होता है. इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने होम लोन एग्रीमेंट के महत्वपूर्ण नियमों को जान लें.

होम लोन एग्रीमेंट के महत्वपूर्ण नियम

होम लोन एग्रीमेंट में बहुत से नियम होते हैं जिनसे मिलकर लेंडर और कस्टमर के बीच ट्रांजैक्शन का फ्रेमवर्क बनता है. इनमें से प्रत्येक नियम उन नियमों और शर्तों को परिभाषित, वर्णित या निर्धारित करते हैं जिनके आधार पर पैसा उधार दिया और लिया जाता है. इसलिए, इन नियमों के कानूनी निहितार्थ होते हैं और लोन को सुचारू ढंग से पूरा करने के लिए इन्हें समझना और इनका पालन करना ज़रूरी होता है. नीचे कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जिनकी कस्टमर को जानकारी होनी चाहिए:

1 सिक्योरिटी कवर के नियम:

इस नियम के अनुसार आपको लोन के लिए, प्रदान की गई सिक्योरिटी के द्वारा उसकी संपूर्ण अवधि के लिए पर्याप्त ढंग से कवर किया जाना चाहिए. आमतौर पर खरीदी जा रही प्रॉपर्टी ही लोन की सिक्योरिटी होती है. अगर केवल वह प्रॉपर्टी लेंडर को पर्याप्त सिक्योरिटी नहीं दे पाती (मान लीजिए कि बाजार में कीमतें गिरने या प्रॉपर्टी के खराब या नष्ट होने की स्थिति में), तो लेंडर कस्टमर से बकाया लोन राशि की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सिक्योरिटी देने की मांग कर सकता है.

2 अन्य बैलेंसे को सेट करना:

कस्टमर द्वारा किए गए किसी भी भुगतान को उस तिथि पर बकाया अन्य देय राशियों के लिए सेट-ऑफ या एडजस्ट किया जाता है. वे अन्य देय राशियां देरी से भुगतान पर दंड ब्याज, प्रोसेसिंग/ट्रांजैक्शन फीस आदि हो सकती हैं. इन देय राशियों की पूरी वसूली के बाद ही EMI या मूलधन का रीपेमेंट किया जाता है

3 तीसरे पक्ष के लिए असाइनमेंट:

डिफॉल्ट होने या लेंडर अपने बिज़नेस की सुविधा के लिए होम लोन किसी तीसरे पक्ष को सौंपने का विकल्प चुन सकता है. लोन की बाध्यताएं और नियम/शर्तें यथावत बने रहते हैं और चुने गए तीसरे पक्ष को लोन ट्रांसफर कर दिया जाता है. मूल लेंडर को सौंपने की इस क्रिया के लिए होम लोन कस्टमर से मंजूरी लेना ज़रूरी नहीं होता.

4 प्रीपेमेंट के नियम:

प्रीपेमेंट का अर्थ लोन एग्रीमेंट में निर्धारित EMI की राशि से अधिक का रीपेमेंट करने से है. कस्टमर द्वारा किए गए इस अतिरिक्त भुगतान को भुगतान के समय बकाया मूलधन के मद में समायोजित कर दिया जाता है. यह प्रीपेमेंट बकाया लोन का कोई अंश या संपूर्ण बकाया लोन हो सकता है. यह नियम तय करता है कि प्रीपेमेंट किस प्रकार किया जा सकता है और उस प्रीपेमेंट के फाइनेंशियल निहितार्थ, यदि कोई हों तो, क्या होंगे.

5 अधिसूचना नियम:

ग्राहक अपने रोजगार/बिज़नेस/पेशे, आय के स्तर में बदलाव, और पते या आवासीय स्थिति में बदलाव (निवासी से NRI और NRI से निवासी) के बारे में लेंडर को शीघ्रता से सूचित करने के लिए बाध्य होता है. इस नियम में इन बदलावों की सूचना देने की समय-सीमा और साधन निर्धारित होते हैं.

6 डिफॉल्ट की परिभाषा:

अगर कस्टमर लोन के नियमों के अनुसार अपने रीपेमेंट दायित्वों की पूर्ति में विफल रहता है, तो इसे डिफॉल्ट माना जाता है. इस खंड में उस स्थिति का निर्धारण होता है जिसके तहत माना जाएगा कि कस्टमर ने डिफॉल्ट किया है, और उसके निहितार्थ भी इसी खंड में होते हैं.

7 संशोधन नियम:

यह नियम होम लोन एग्रीमेंट में संशोधनों से संबंधित होता है. यह निर्धारित करता है कि कौन, कब व कैसे संशोधन कर सकता है और उक्त परिस्थितियों में प्रत्येक पक्ष के अधिकार और दायित्व क्या होंगे.

निष्कर्ष

होम लोन एग्रीमेंट को आपके लोन की बाइबिल कहा जा सकता है. यह वह ढांचा है जो आपके होम लोन को नियंत्रित करता है. होम लोन लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लीजिए कि आप एग्रीमेंट को विस्तार से पढ़ लें. अगर जरूरत हो तो अपने लेंडर से स्पष्टीकरण मांगें या पेशेवर सहायता लें. याद रखें, आप होम लोन एग्रीमेंट के केवल कुछ नियमों (जैसे अवधि, ब्याज दर आदि) पर मोलभाव कर सकते हैं. आपको होम लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने से पहले बाकी सभी नियमों को बारीकी से जांच लेना चाहिए.

इसे भी पढ़ें - होम लोन NOC क्या है

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