बीज उगाना और पौध तैयार करना कोई मुश्किल बात नहीं है. लेकिन इसे सही तरीके से करना जरूरी है. अगर आप शुरूआत कर रहे हैं तो हम आपको बता रहें है कि क्या बोएं, कहां बोएं और कब बोएं.

अगर आप बागबानी का शौक रखते हैं तो आपको बुआई की जानकारी होनी बहुत जरूरी है. और यही पहला कदम होता है जब यह निर्धारित हो जाता है कि आपका बगीचा कैसा दिखेगा और इसमें क्या उगेगा. बगीचे को डिज़ाइन करने से पहले यह तय कर लें कि आप इसमें कौनसी बूटियां, फूल और सब्जियां उगाना चाहते हैं, इस से आपको यह अंदाज़ा भी आ जाएगा कि आपको कितनी जगह चाहिए और आप उगाने के लिए आवश्यक परिस्थितियों के बारे में भी जान जाएंगे. बगीचे की सफलता के लिए यह जरूरी है कि आप पहले यह जानकारी प्राप्त कर लें कि बीजों को कहां उगाना है और कितनी दूरी पर उगाना है. इसके अलावा, अगर आप अपनी खुद की पौध तैयार करते हैं तो आप काफी बचत कर सकते हैं, आप दुर्लभ और असामान्य पौधे उगा सकते हैं और बागबानी का फायदा उठा सकते हैं, बुआई से कटाई तक. और सबसे अच्छी बात यह है कि यह सब करना बहुत आसान है.

बीज उगाना

चलिए, डायरेक्ट सीडिंग या सीधी बुआई से शुरुआत करते हैं. इसमें पौध बनाने की आवश्यकता नहीं होती, और सीधे पौधे बोए जाते हैं. उदाहरण के लिए, गर्मियों में, आपको सीधे ओकरा, पालक, ऐमारैंथ, कद्दू, लौकी, ककड़ी, फलियां और तोरी बोना चाहिए; बैंगन, टमाटर या मिर्च नहीं. बगीचे में सीधे पौधे उगाने से संबंधित कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:

क्यारियां बनाएं

खुरपी से क्यारी की मिट्टी की गुड़ाई कर दें और इसमें कम्पोस्ट खाद डाल दें. सुनिश्चित करें कि मिट्टी की ऊपरी परत में मिट्टी के डले न बने हों. सभी प्रकार के पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए नए अंकुरित बीजों के लिए अधिकतम सतह क्षेत्र प्रदान करने के लिए मिट्टी बारीक और दानेदार होनी चाहिए.

पर्याप्त मात्रा में पानी दें

सुनिश्चित करें कि आप पानी देने के पात्र या स्प्रे के माध्यम से धीरे-धीरे पानी दें, अन्यथा मिट्टी का कटाव हो सकता है. इसके अलावा बीजारोपण के समय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में नियमित रूप से और लगातार पानी देना आवश्यक होता है.

दूरी बनाए रखें

बीजों को मिट्टी की सतह पर समान गहराई में बोएं और उन्हें मिट्टी और कंपोस्ट के मिश्रण से ढक दें जिसकी मोटाई, बीजों की मोटाई की लगभग 2 से 3 गुना हो. यह ऊपरी पर्त पक्षियों और गिलहरियों को बीजों तक पहुंचने से रोकेगी.

सही तरीके से लेबल करें

रोपी गई हर क्यारी पर उसके नाम का लेबल लगा दें ताकि आपको याद रहे कि आपने क्या रोपा था और कहां रोपा था. इस काम के लिए मैं आमतौर पर आइस क्रीम स्टिक का उपयोग करता हूं. स्टिक के आगे बीज का नाम और किस्म लिखी होती है और पीछे रोपाई की तिथि. साथ ही, प्रति वर्ग फुट रोपे गए बीजों का पैटर्न मन ही मन याद कर लें, ताकि आप अंकुरित बीजों और अंकुरित खर-पतवारों में आसानी से फर्क कर सकें.

गमलों के बगीचे का रखरखाव

शहरी भारत के अधिकतर किचन गार्डनर पात्रों और गमलों में बागबानी करते हैं, जमीन में नहीं. पर गमलों में पौधे उगाने की अपनी चुनौतियां और फायदे होते हैं. हालांकि गमलों में उतना स्थान और उतने प्रचुर पोषक तत्व नहीं होते जितने आमतौर पर जमीन में होते हैं, पर उनसे बीज और पौध उगाने का एक अधिक नियंत्रित परिवेश अवश्य मिल जाता है. असल में, अंकुरण के माध्यम और पानी देने पर अधिक सटीक नियंत्रण के लिए गमलों में पौध उगाना उपयुक्त होता है. साथ ही, जो पौध ट्रे या छोटे पात्रों में हैं उन्हें लाना-ले जाना और रोपना ज्यादा आसान होता है. पात्रों/गमलों में पौध बनाने के लिए आपको निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर अवश्य विचार करना चाहिए:

पात्र/गमले का चयन ध्यानपूर्वक करें

आपके पात्र/गमले की गहराई कम-से-कम 2 से 3 इंच होनी चाहिए. उसमें से पानी निकलने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, नहीं तो आपको उसके तले में छेद करने होंगे. आपका सबसे अच्छा विकल्प यह है कि आप बायोडिग्रेडेबेल पात्र/गमले प्रयोग करें, जैसे गोबर से बने पात्र/गमले, जिन्हें सीधे जमीन में रोपा जा सकता है. रीसायकल्ड पात्र जैसे दूध के कार्टन और पेपर कप को भी पौध बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है.

नमी बनाए रखें

नमी बनाए रखने के लिए पात्र/गमले को प्लास्टिक की पन्नी या कांच से ढक दें और ऐसी जगह रखें जहां उसे सही तापमान मिले. अधिकांश बीज लगभग 25 डिग्री सेल्सियस पर अंकुरित होते हैं.

सूर्य की रोशनी सुनिश्चित करें

अंकुरण के समय 12 से 16 घंटों की सूरज की रोशनी की आवश्यकता होती है. एक बार अंकुरित हो जाने के बाद पौधों को तेज धूप से हटाया जाना जरूरी होता है, वरना वे कमजोर हो जाते हैं.

नवांकुर को पात्र/गमले में लगाने की मिट्टी (पॉटिंग मिक्स) प्रयोग करें

सीड-स्टार्टिंग मिक्स खरीदें या वर्मिकुलाइट, नारियल पांस और कंपोस्ट को समान मात्रा में मिलाकर अपना खुद का सीड-स्टार्टिंग मिक्स बनाएं. नारियल पांस की क्षारीयता खत्म करने के लिए 1 किलोग्राम मिक्स में 1/2 छोटी चम्मच जिप्सम मिला दें.

पोषण प्रदान करें

जैसे ही पौधे में पत्तियां आनी शुरू हों, इसे हर हफ्ते खाद या सी-वीड खाद देना शुरू कर दें. पत्तियों पर छिड़कने के लिए स्प्रेयर का उपयोग करें.

अच्छी तरह से उगाएं

मिक्स को गीला करें, बीजों को सतह पर एकसमान ढंग से बिछाएं, और बीजों को उनकी मोटाई की लगभग 2 से 3 गुना मोटी मिक्स की पर्त से ढक दें. कुछ बीजों, जैसे पेटूनिया और एलिसम को अंकुरण के लिए प्रकाश चाहिए होता है, अतः उन्हें न ढकें. सबसे ऊपर थोड़ी सी नीम की खली बुरक दें जो एक कुदरती पेस्ट- और रोग-नियंत्रक का कार्य करती है.

बड़े गमले प्रयोग करें

यदि आपके पौध बहुत बड़े हो जाएं या उनके बीच बहुत कम जगह बचे तो उन्हें बड़े गमलों में पहुंचा दें. किसी संकरे कांटे (फोर्क) या चपटी डंडी का उपयोग करें, और पत्तियों व जड़ों से पकड़ें ताकि नाजुक तनों को नुकसान न हो. पौध को नए गमलों में हल्के से बैठा दें और पानी डाल दें ताकि जड़ें ठीक से बैठ जाएं.

गमलों को सही तरीके से लेबल करें

जैसा कि मैनें पहले भी बताया था, पौधों को सही ढंग से लेबल करना सुनिश्चित करें. पौधों को लेबल करने की प्रक्रिया बहुत आसान है!

उन्हें लाड़-प्यार करें

दिन में एक या दो बार अपने पौध पर हल्के से हाथ फिराने से उन्हें गठीला और मजबूत बनने में मदद मिलती है.

स्प्रे करें

पानी देने का सबसे सही तरीका यह है कि एक स्प्रे वाला छोटा कंटेनर इस्तेमाल करें. यह सुनिश्चित करें कि पौध हमेशा नम रहें, हालांकि यह बहुत गीली या एकदम भीगी हुई नहीं होनी चाहिए. छोटे पात्र बहुत जल्दी सूख जाते हैं, इसलिए इन्हें समय-समय पर चेक करते रहें.

अभ्यस्त करवाएं

रोपाई से लगभग एक सप्ताह पहले, अपने पौधों को बाहर किसी आंशिक छायादार और संरक्षित स्थान पर पहुंचा दें, ताकि उन्हें बाहर के हालात की आदत हो जाए. धीरे-धीरे धूप और हवा से उनका संपर्क बढ़ाएं. एक सप्ताह तक बाहर रह चुकने के बाद उनकी रोपाई करें.

बोनस टिप

अच्छे परिणामों के लिए तले में पानी देने की तकनीक प्रयोग करें. अपनी पौध ट्रे या एक नवांकुर वाले मिट्टी के पात्रों को किसी बंद नांद या खांच में रखें और उसमें लगभग 1 इंच की ऊंचाई तक पानी भर दें. परासरण (ऑस्मोसिस) के चलते मिट्टी नम बनी रहेगी और अंकुरित जड़ें केशिका क्रिया (केपिलरी एक्शन) की मदद से पानी सोख लेंगी. यह तरीका नाजुक पौध को अस्त-व्यस्त किए बिना उसे पानी देने का एक असरदार तरीका है.

 

पौध का पोषण

अपनी खुद की पौध तैयार करने के बहुत से लाभ होते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

बचत करना

नर्सरी से पौध खरीदने से, खासतौर पर उन विदेशी शाक और फूलों को खरीदने से आपकी जेब हल्की हो सकती है और आपको क्वालिटी के बारे में भी निश्चित तौर पर कुछ पता नहीं चलता है. जब आप ऊपर बताए गए तरीकों से अपने खुद के पौध उगाते हैं तो आपको पता होता है कि आपके पास ऐसा पौधा है जो तेजी से नाकामयाब नहीं होगा.

तेज शुरुआत

अपनी खुद की पौध उगाने से आप उगाई के मौसम से हमेशा एक कदम आगे रहेंगे.

उगाई के आनंद का अनुभव

अपनी खुद की पौधशाला (नर्सरी) बनाना एक मजेदार और आनंद-दायक अनुभव होता है.

शुद्ध और विदेशी किस्में उगाना

बाजार में आमतौर पर संकर (हायब्रिड) किस्मों का उपयोग होता है, पर आप बाजार पर निर्भर हुए बिना स्थानीय, असामान्य, असंकर (नॉन-हायब्रिड) और विरासती किस्में उगा सकते हैं.

रसायन मुक्त उपज का आनंद

आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके पौध उगाने में रसायनों का उपयोग न हो. आमतौर पर, शक्तिशाली पौध उगाने के लिए नर्सरी में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है.

नए सिरे से पौधे उगाना एक ऐसा प्रोसेस है जो आपको अपना लती बना देता है. बस इतना जान लें कि आपको बुआई के समय से लगभग डेढ़ महीने पहले से पौध बनाना शुरू कर देना होगा. मिसाल के तौर पर इन सर्दियों के लिए अपने फूलगोभी और पत्तागोभी के पौध अभी से बनाना शुरू कर दें, ताकि आप अक्तूबर में रोपाई के लिए तैयार हो जाएं. हमारी शुभकामनाएं!