चिंतित हैं कि गर्म मौसम आपके पौधों को बेजान कर देगा? गर्मियों के फलते-फूलते स्वर्ग की हमारी विस्तृत गाइड आपकी चिंताएं खत्म कर देगी.

वसंत आने को है! और यही समय है कि आप अपने गार्डन की सावधानी और प्यार के साथ देखभाल करें और उसे सर्दियों के बंजर बर्फीले चंगुल से छुड़ा लें, ताकि आपको गर्मियों के चमकते मनोरंजन के लिए एक फलता-फूलता गार्डन तैयार मिले. फलता-फूलता और हरा-भरा गार्डन पाने के लिए आपको ये बातें जाननी चाहिए.

पौधे कब लगाएं

फरवरी के आखिर से लेकर पूरे मार्च के दौरान सबसे अच्छा समय होता है, तभी जब आप अपने स्वेटर को लंबी छुट्टी पर भेजने वाले होते हैं. ऐसा दिन चुनें जब ज्यादा हवा न चल रही हो कठोर हवा आपके नन्हे पौधों के लिए तनाव का कारण बन सकती है और उनकी बढ़त में बाधा बन सकती है. इसलिए कोई ऐसा शांत, बादल भरा दिन पौधे लगाने के लिए सबसे अच्छा है जब न तो हवा और न ही धूप उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है.

पौधे लगाने के लिए मिट्टी तैयार करना

सबसे पहले तो जितने भी खर-पतवार हों उन्हें हटाइए. खर-पतवार पोषक तत्वों, धूप और पानी के लिए आपके पौधों से प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसके बाद खुरपी से मिट्टी ढीली कीजिए और उसे एक या दो दिन तक धूप सोखने दीजिए. कोई ऑर्गेनिक कम्पोस्ट जैसे घनजीवअमृत या वर्मीकम्पोस्ट और थोड़ी नीम खली डालिए. और आखिर में, 1-इंच मोटी पलवार डालिए. यदि आप पात्रों/गमलों में पौधे उगाने जा रहे हों, तो मिट्टी व खाद का अच्छा मिश्रण तैयार कीजिए जो नमी बनाए रखने में मददगार हो, और मिट्टी में हवा की उचित मात्रा बनाए रखिए और उससे पानी निकलने की सही व्यवस्था रखिए.

पानी देने की कला

पक्का कीजिए कि आप अपने पौधों को, रोपाई के तुरंत बाद से, भरपूर पानी देते रहें. इसके बाद, पानी इतनी बार दीजिए कि मिट्टी की ऊपरी 1-इंच पर्त नम बनी रहे. पौधों को दिन के ठंडे हिस्से के दौरान पानी दीजिए, या तो सुबह-सुबह या फिर देर शाम. तेज धूप के दौरान पानी देने से पौधों के जलने और पत्तियों को नुकसान होने की दिक्कतें आती हैं. तेज गर्मी के दौरान, सुबह और शाम, दोनों समय पानी दीजिए. ध्यान रखिए कि जरूरत से ज्यादा पानी न दिया जाए नहीं तो फंगल रोग हो सकते हैं. जड़ों का सड़ना जरूरत से ज्यादा पानी दिए जाने का संकेत होता है. बार-बार बड़ी मात्रा में पानी देना आमतौर पर सबसे अच्छा रहता है. पर चूंकि गर्मियों में हमारे अधिकतर शहरों में पानी की कमी हो जाती है, अतः बेहतर होगा कि आप पानी भारी मात्रा में और कभी-कभार डालें, क्योंकि इससे जड़ें ज्यादा गहराई में मिट्टी की अधिक ठंडी पर्तों (और उम्मीद है कि अधिक नम भी) तक बढ़ेंगी. बार-बार कम पानी देने से सघन और हरी-भरी बढ़त तो मिलती है पर इससे जड़ें ज्यादा गहराई तक नहीं जाती हैं, जिससे पौधा अत्यधिक गर्मी वाले दिनों को झेलने के लिए तैयार नहीं हो पाता है. और सबसे महत्वपूर्ण बात, मिट्टी को नम बनाए रखने के लिए आपको पलवार डालनी ही होगी! गर्मियों में, मैं आमतौर पर अपने गमले वाले पौधों पर कम-से-कम 2–3 इंच और जमीन पर कम-से-कम 1-2 इंच मोटी पलवार की परत रखता/रखती हूं.

गर्मियों के लिए खास फर्टिलाइजर

हर 2-4 हफ्ते पर सूखी और गीली, दोनों तरह की खाद डालिए. गमलों और छोटे पात्रों में लगे पौधों को फलने-फूलने के लिए बार-बार पोषक तत्व देने की जरूरत होती है. खासतौर पर बैंगन और लौकी जैसी सब्जियों को अतिरिक्त खाद देने पर ही उनमें भरपूर मात्रा में फल आते हैं याद रखिए, आपके पौधे धीमी और सुस्त सर्दी से अभी-अभी बाहर निकले हैं, इसलिए उन्हें गर्म मौसम में अपनी बढ़त कायम रखने के लिए कहीं अधिक ऊर्जा की जरूरत है.

एक्स्ट्रा, एक्सट्रा!

  • जब बात सब्जियों के पौधे लगाने की हो, तो देसी और मौसमी किस्में चुनना ही बेहतर होता है.
  • पौधों को, खासतौर पर छत पर व बालकनी में रखे पौधों को ठंडा रखने के लिए दिन में एक बार उन पर पानी की फुहार करें.
  • पौधों को गुच्छों में रखें ताकि केवल एक साइड पर धूप पड़े और केवल बाहरी साइड से ही पानी उड़े.
  • एक छायादार ढांचा बनाइए और पौधों को किसी अच्छे क्वालिटी के, 35-50% सफेद शेड-नेट से ढक दीजिए ताकि धूप सही मात्रा में बिखर सके, और वह हिस्सा ठंडा भी बना रहे ‘शेड फैक्टर’ का अर्थ अवरुद्ध धूप की मात्रा से होता है, और यह 25–90% हो सकता है संवेदनशील पौधों, जैसे पत्तेदार हरी सब्जियों को 50–60% शेड फैक्टर की जरूरत हो सकती है, वहीं थोड़ी ज्यादा गर्मी झेल सकने वाले पौधों, जैसे कद्दू, लौकी और फलियों को 30% शेड क्लोथ से फायदा मिल सकता है.
  • पक चुके फल शीघ्रता से काट लीजिए, क्योंकि वे पौधों से काफी पानी लेते हैं.
  • पलवार! पलवार! पलवार! क्योंकि अपनी मिट्टी को धूप के सीधे संपर्क में छोड़ने से ज्यादा बुरा और कुछ नहीं हो सकता है.

आप कौन से पौधे लगा सकते हैं

वेजिटेबल या हर्ब गार्डन शुरू करने का यह अच्छा समय होता है.

सब्जियां
  • - भिंडी
  • - लौकी, टिंडे, तुरई, घिया, खीरा, ककड़ी, जुकीनी, करेला
  • - बैंगन
  • - काली मिर्च और मिर्च
  • - लोबिया
जड़ी बूटी
  • - तुलसी - विभिन्न किस्में
  • - अजवाइन
  • - एक प्रकार का पौधा
  • - पुदीना
  • - करी
फूल
  • - पीले या नारंगी कॉसमॉस
  • - गैलार्डिया
  • - कोरिऑप्सिस
  • - पोर्टुलाका
  • - गॉम्फ्रेना
  • - विन्का
  • - जिनियस