जयपुर शहर का मौजूदा परिवहन ढांचा, तेज़ी से बढ़ती आबादी और औद्योगिकीकरण के कारण हो रहे वाणिज्यिक विकास का बोझ वहन कर पाने में असमर्थ सिद्ध हो रहा था. राजस्थान राज्य सरकार ने दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर जयपुर मेट्रो परियोजना को लागू करने के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन - जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना की. इसे भारत की सबसे तेज निर्मित मेट्रो प्रणाली में से एक के रूप में जाना जाता है और जयपुर मेट्रो भारत की पहली ऐसी मेट्रो है जो दु-मंजिला एलिवेटेड रोड और मेट्रो ट्रैक पर चलती है.

रूट का विवरण

मेट्रो दो चरणों में चलाई जाएगी - पिंक लाइन (प्रथम चरण) और ऑरेंज लाइन (द्वितीय चरण). मानसरोवर से चांदपोल के बीच 9.63 किलोमीटर की दूरी तक फैली परियोजना का चरण IA शुरू हो गया है. इस चरण के मार्ग में आने वाले 9 स्टेशनों में मानसरोवर, न्यू आतिश मार्केट, विवेक विहार, श्याम नगर, राम नगर, सिविल लाइंस, रेलवे स्टेशन, सिंधी कैंप और चांदपोल शामिल हैं. चांदपोल और बड़ी चौपड़ के बीच चरण IB 2018 तक शुरू हो जाएगा. चरण II, 23.09 किलो मीटर और 20 स्टेशनों से मिलकर बना होगा और यह दक्षिण में सीतापुरा इंडस्ट्रीयल एरिया को उत्तर में अंबाबारी से जोड़ेगा और 2021 तक संचालन शुरू कर देगा.

विभिन्न सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को एक छत के नीचे लाने के लिए और एकीकृत किराया और आम टिकटिंग सुविधा प्रदान करने के लिए एक एकीकृत महानगर प्राधिकरण (UMTA) की स्थापना की गई है.

रियल एस्टेट - प्रभाव

परिचालन चरण - मानसरोवर से चांदपोल पहले से ही सामाजिक बुनियादी ढांचे के मामले में एक अच्छी तरह से विकसित बाजार है और इसलिए मेट्रो के चलने से इस इलाके में संपत्तियों की कीमत और किराए में बढ़ोत्तरी हुई है. कॉरिडोर के नजदीकी जमीनों की कीमतें भी बढ़ गई हैं, डेवलपर्स ने मध्य-आय और उच्च-आय वाले खंड में बहु-मंजिला आवासीय परियोजनाओं को लॉन्च करने के लिए जमीन के प्लॉट खरीदने शुरू कर दिए हैं. बिजनेस हब - चांदपोल और आवासीय हब - मानसरोवर के एक साथ जुड़ जाने की बदौलत जयपुर मेट्रो के परिचालन चरण में इस क्षेत्र का समग्र विकास हुआ है. चरण IB के पूरा होने से शहर के केंद्र और अन्य उपनगरीय क्षेत्रों से शहर के बाहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बेहतर हो जाएगी और परिणामस्वरूप रियल एस्टेट क्षेत्र में तीव्र विकास होने की संभावना है.

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