यह हमारे देश की 'अतिथि देवो भव:' की संस्कृति का ही कमाल है कि हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख घटकों में से एक रही है’. अपनी विविधता, इतिहास, संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों के चलते भारत विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है. भारत में आए आर्थिक उदारीकरण के दौर और उसके बाद हुए विकास और सुधारों ने विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत आने के लिए प्रेरित किया, और इस प्रकार से बहुत से विदेशी भारत की ओर आकर्षित हुए. इन लोगों की बढ़ती हुई जरूरतों की पूर्ति के लिए, हॉस्पिटेलिटी क्षेत्र की कंपनियों ने विभिन्न समाधान निकाले. सर्विस अपार्टमेंट की अवधारणा हालांकि काफी नई है, लेकिन इसने बड़ी हॉस्पिटेलिटी कंपनियों और रियल एस्टेट डेवलपर्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है.

अगर इस अवधारणा को समझने की कोशिश करें तो यह अपार्टमेंट पारंपरिक होटल के कमरे से रहने की अवधि और कुछ अन्य सुविधाओं के मामले में अलग होते हैं, होटल के मुकाबले आपको यहां रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान जिनमें किचन के सामान, माइक्रोवेव और वाशिंग मशीन आदि शामिल हैं, मिल जाते हैं. सर्विस अपार्टमेंट छोटी और लंबी अवधि के निवास के लिए घर से दूर एक घर के रूप में काम करता है.

मांग बढ़ाने वाले कारक

सर्विस अपार्टमेंट की मांग नियमित पर्यटकों के अलावा कॉरपोरेट क्लाइंटों से भी आती है. बायोटेक्नोलॉजी, IT/ITES, BPO, कंसल्टिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी इंडस्ट्रीज में हुई बढ़ोत्तरी के चलते कॉरपोरेट सेक्टर को अपने मैनेजरों के लंबी अवधि के निवास के लिए अक्सर सर्विस अपार्टमेंट की जरूरत पड़ती है. इससे मंदी के दौर में उन्हें अपने आवास संबंधी खर्चे कम करने में मदद मिलती है. इसके अलावा कुछ लोग किसी दूसरे समय में छोटी अवधि के काम के लिए जाते हैं; इस अवधि के लिए किराए का घर मिलना काफी मुश्किल होता है, और ये लोग सर्विस अपार्टमेंट को तरजीह देते हैं. इसके अलावा सर्विस अपार्टमेंट का एक और फायदा यह है कि कर्मचारी यहां नई लोकेशन पर अपने परिवार के साथ शिफ्ट हो सकता है.

भारत में, फाइव स्टार होटलों की कमी है; जिसके कारण ये प्रॉपर्टीज काफी महंगी हो गई है. इसके मुकाबले सर्विस अपार्टमेंट एक सस्ता और अधिक जगह वाला विकल्प सिद्ध हुआ है.

इसके अलावा लंबे समय के लिए यात्रा कर रहे सैलानी भी सर्विस अपार्टमेंट में रहना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें वाजिब कीमतों पर होटल जैसा आराम और सुविधाएं प्राप्त होती हैं. इन दिनों भारत में मेडिकल टूरिज्म का चलन बढ़ा है और इसके चलते सर्विस अपार्टमेंट की संख्या में भी वृद्धि हुई है. पिछले कुछ सालों में रियल एस्टेट डेवलपर और इन्वेस्टर्स के बीच इनकी भारी मांग देखी गई है. इस तरह के अपार्टमेंट किसी व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी का मालिक बनने और उसके बाद इन्वेस्टमेंट के लिए इसे डेवलपर को वापस देने की सुविधा देते हैं, वह इस दौरान 15–20 प्रतिशत का सालाना रिटर्न कमा सकता है.

सर्विस अपार्टमेंट के प्रकार

सर्विस अपार्टमेंट सेक्टर को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है - एंट्री लेवल, मिड लेवल और प्रीमियम सेगमेंट. एंट्री लेवल और मिड लेवल के अपार्टमेंट में मूलभूत सुविधाएं जैसे की वर्कस्पेस, किचन आदि उपलब्ध होती हैं, जबकी प्रीमियम सेगमेंट में विभिन्न कस्टमाइज सुविधाएं जैसे कि कमरे में डाइनिंग, शेफ-ऑन-कॉल, अपार्टमेंट में सामान पहुंचाने की सुविधा इत्यादि भी उपलब्ध होती है. अगर लोकेशन के हिसाब से देखें तो प्रीमियम सेगमेंट के अपार्टमेंट केवल महानगरों और टीयर- I शहरों में उपलब्ध होते हैं; जबकि एंट्री लेवल और मिड लेवल के अपार्टमेंट टीयर- II और टीयर- III शहरों में भी मिल जाते हैं.

भारत में हालात

भारत में सर्विस अपार्टमेंट सेगमेंट अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, हालांकि डेवलपर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे और चेन्नई जैसे शहरों में बहुत से सर्विस अपार्टमेंट बना रहे हैं. इसके अलावा, टियर- II और III शहर और पर्यटन को आकर्षित करने वाले शहर जैसे कि कोच्चि, अहमदाबाद, भुवनेश्वर, नीमराणा आदि में भी सर्विस अपार्टमेंट्स लोकप्रिय हो रहे हैं. एंड-यूजर्स को इन सर्विस अपार्टमेंट्स में फाइव स्टार होटल जैसी सुविधा मिलती है. सर्विस अपार्टमेंट्स की संख्या में बढ़ोत्तरी की संभावना को देखते हुए फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टॉरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया इनके लिए ग्रेडिंग और वर्गीकरण प्रणाली तय करने का प्रयास कर रही है. भारत में इस सेक्टर के विकास की काफी संभावनाएं हैं, तेजी से बढ़ता IT/ITES, बायोटेक्नोलॉजी और मेडिकल टूरिज्म सेक्टर सर्विस अपार्टमेंट सेक्टर को आगे बढ़ाने में मदद करेगा और देशी और विदेशी इन्वेस्टर इसकी ओर आकर्षित होंगे.